नागपुर दंगे: शुरू से लेकर अब तक का हाल
नागपुर में जो कुछ हुआ, उसे सुनकर तो दिल दहल गया। आज 18 मार्च 2025 है, और मैं आपको इस पूरे मामले को शुरू से लेकर अब तक, अपनी ज़बान में बताने जा रहा हूँ।
आग की शुरुआत कैसे हुई?
17 मार्च की सुबह नागपुर के महाल इलाके में कुछ लोग जमा हुए। ये विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल वाले थे। इनका कहना था कि औरंगजेब की कब्र को हटाना चाहिए। सुबह 7 से 9 बजे तक ये लोग छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति के पास नारे लगाते रहे। फिर इन्होंने औरंगजेब की एक मूर्ति को चादर में लपेटा और आग लगा दी। इसके बाद पता नहीं कहाँ से बात फैल गई कि इन्होंने कुरान को जलाया। अब ये तो अफवाह थी, लेकिन सोशल मीडिया पर ऐसी हवा चली कि मुस्लिम भाइयों का गुस्सा फूट पड़ा। बस, यहीं से मामला बिगड़ गया।
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शाम को मचा हंगामा
17 मार्च की शाम, करीब 7:30 बजे तक, हालात हाथ से निकल गए। महाल और हंसपुरी की गलियों में लोग सड़कों पर उतर आए। पहले तो शांति से नारेबाज़ी हुई, लेकिन फिर अचानक पत्थरबाज़ी शुरू हो गई। गाड़ियाँ जलाई गईं, दुकानों में तोड़फोड़ हुई। ऐसा लग रहा था कि कुछ लोग पहले से तैयार बैठे थे। हिंदुओं के घरों और दुकानों को निशाना बनाया गया। जिन गाड़ियों पर भगवा झंडा या कोई हिंदू निशान था, उन्हें चुन-चुनकर आग के हवाले कर दिया। करीब 30-40 गाड़ियाँ जल गईं, जिनमें दो जेसीबी भी थीं।
पुलिस पर भी हमला हुआ। 25 से ज़्यादा पुलिसवाले घायल हो गए। दो बड़े अफसर और 10 दंगा रोकने वाले कमांडो भी चोटिल हुए। एक सिपाही की हालत तो बहुत खराब बताई जा रही है। ये हंगामा चितनिस पार्क से लेकर शुक्रवारी तलाव तक फैल गया। भीड़ ने सीसीटीवी कैमरे तोड़ दिए, पुलिस की गाड़ियाँ भी नहीं बख्शीं।
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पुलिस ने संभाला मोर्चा
पुलिस ने आंसू गैस छोड़ी, लाठियाँ भाँजी। रात तक हालात काबू में करने के लिए धारा 144 लगा दी गई, यानी चार लोग भी एक साथ नहीं खड़े हो सकते। 1000 से ज़्यादा पुलिसवाले मैदान में उतारे गए। क्विक रिस्पॉन्स टीम, दंगा नियंत्रण वाले और स्टेट रिज़र्व फोर्स सब लग गए। अब तक 50 से ज़्यादा गुंडों को पकड़ा जा चुका है, और 5 FIR लिखी गई हैं। पुलिस कमिश्नर रविंदर सिंगल ने कहा कि अब सब शांत है, लेकिन अभी छानबीन चल रही है। 18 मार्च की सुबह से पुलिस घर-घर जाकर दंगाइयों को ढूंढ रही है। सीसीटीवी और वीडियो से उनकी शिनाख्त हो रही है।
नेताओं की बयानबाज़ी
- देवेंद्र फडणवीस: सीएम साहब बोले कि ये सब पहले से प्लान किया गया लगता है। अफवाह फैलाकर लोगों को भड़काया गया। उन्होंने पुलिस को सख्ती करने को कहा और लोगों से शांति की अपील की। उनका ये भी कहना है कि "छावा" फिल्म ने औरंगजेब को लेकर गुस्सा भड़काया।
- उद्धव ठाकरे: शिवसेना (UBT) वाले उद्धव जी ने सरकार को घेरा। बोले कि ये डबल इंजन सरकार कुछ नहीं कर पाई, फडणवीस को इस्तीफा देना चाहिए।
- आदित्य ठाकरे: इन्होंने बीजेपी पर इल्ज़ाम लगाया कि वो महाराष्ट्र को मणिपुर बनाना चाहते हैं, ताकि असली मुद्दे छुप जाएँ।
- अबू आजमी: समाजवादी पार्टी के अबू भाई बोले कि नागपुर में पहले कभी ऐसा नहीं हुआ, लोग भड़कावे में न आएँ।
- कांग्रेस: इनका कहना है कि सरकार फेल हो गई, और संसद में भी ये बात उठाई।
अब क्या चल रहा है?
18 मार्च की सुबह तक नागपुर में सन्नाटा पसरा है। दुकानें बंद, सड़कें सूनी, पुलिस हर जगह तैनात है। कर्फ्यू अभी चल रहा है। सरकार बार-बार कह रही है कि अफवाहों पर ध्यान न दो, शांति रखो। अभी पता लगाया जा रहा है कि ये सब कितना सोचा-समझा था और इसके पीछे कौन था। कोई कह रहा है कि ये सियासत का खेल है, तो कोई इसे मज़हबी तनाव बता रहा है।
बस इतना ही
तो दोस्तों, एक छोटे से प्रदर्शन से शुरू हुई बात इतनी बढ़ गई कि पूरा शहर जल उठा। हिंदू-मुस्लिम में तनातनी हुई, और खूब नुकसान हुआ। अब पुलिस और सरकार इसे ठंडा करने में जुटी है। लेकिन नागपुर जैसे शांत शहर के लिए ये बड़ा झटका है, जो पहले कभी ऐसे बवाल का गवाह नहीं बना था।
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