Waqf Kya hai?

वक्फ क्या है? विस्तृत जानकारी


वक्फ की परिभाषा

वक्फ (अरबी में "वक़्फ़") एक इस्लामी कानूनी और धार्मिक अवधारणा है, जिसका अर्थ है किसी संपत्ति को स्थायी रूप से दान करना ताकि उसका उपयोग धार्मिक, परोपकारी या सामाजिक कल्याण के लिए हो सके। यह संपत्ति एक बार वक्फ के रूप में घोषित होने के बाद न तो बेची जा सकती है, न ही हस्तांतरित की जा सकती है, और न ही उस पर व्यक्तिगत स्वामित्व का दावा किया जा सकता है। इसका लाभ आमतौर पर मस्जिदों, मदरसों, कब्रिस्तानों, अनाथालयों, गरीबों की सहायता आदि के लिए होता है। वक्फ इस्लाम में दान (सदका-ए-जारीया) का एक रूप माना जाता है, जिसका पुण्य दानकर्ता को मृत्यु के बाद भी मिलता रहता है।


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वक्फ का उद्गम (Origin)

वक्फ की शुरुआत इस्लाम के प्रारंभिक काल में हुई थी, और इसे पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के समय से जोड़ा जाता है। इसकी उत्पत्ति के पीछे इस्लामी सिद्धांत "सदका-ए-जारीया" (निरंतर दान) है, जो कुरान और हदीस (पैगंबर की शिक्षाओं) से प्रेरित है। कुरान में सूरह अल-हज (22:77) और सूरह अल-बकराह (2:261) जैसे आयतों में दान और परोपकार की महत्ता बताई गई है, हालांकि "वक्फ" शब्द का स्पष्ट उल्लेख कुरान में नहीं है। यह अवधारणा हदीस और इस्लामी परंपराओं से विकसित हुई।


ऐतिहासिक घटना:

पहला वक्फ: इस्लामिक इतिहास में पहला वक्फ पैगंबर मुहम्मद के एक सहाबी (साथी) हजरत उमर (रजि.) से जुड़ा माना जाता है। हदीस के अनुसार, उमर ने खैबर (एक यहूदी कस्बा जिसे मुसलमानों ने जीता) में अपनी जमीन को वक्फ के रूप में दान किया। पैगंबर ने उन्हें सलाह दी कि वह जमीन को बेचने या देने के बजाय उसके लाभ को गरीबों और जरूरतमंदों के लिए समर्पित करें। उमर ने ऐसा ही किया, और यह इस्लाम में वक्फ की पहली मिसाल बनी।

मस्जिद-ए-कुबा: कुछ इतिहासकार मानते हैं कि मदीना में बनी पहली मस्जिद, मस्जिद-ए-कुबा, भी वक्फ की शुरुआती मिसाल थी, क्योंकि यह जमीन समुदाय के लिए समर्पित की गई थी।


वक्फ का विकास

उमय्यद और अब्बासिद काल: 7वीं और 8वीं सदी में इस्लामी साम्राज्य के विस्तार के साथ वक्फ का चलन बढ़ा। खलीफाओं और अमीरों ने मस्जिदों, स्कूलों और अस्पतालों के लिए संपत्तियां दान कीं। अब्बासिद काल में वक्फ को कानूनी रूप से व्यवस्थित किया गया।

मध्यकाल: तुर्क, मंगोल और मध्य एशियाई शासकों ने वक्फ को और मजबूत किया। उदाहरण के लिए, तुर्की में ओटोमन साम्राज्य ने वक्फ को सरकारी नीति का हिस्सा बनाया।

भारत में वक्फ: भारत में वक्फ की शुरुआत 12वीं-13वीं सदी में दिल्ली सल्तनत के साथ हुई। मुस्लिम शासकों जैसे कुतुबुद्दीन ऐबक, इल्तुतमिश और बाद में मुगलों ने मस्जिदों, दरगाहों और मदरसों के लिए वक्फ संपत्तियां बनाईं। उदाहरण के लिए, दिल्ली की जामा मस्जिद और आगरा में ताजमहल के आसपास की जमीनें वक्फ का हिस्सा थीं।


वक्फ की स्थापना कैसे हुई?

वक्फ बनाने की प्रक्रिया इस्लामी कानून (शरीयत) पर आधारित है:

1. दानकर्ता (वाकिफ): कोई भी मुस्लिम (या कुछ मामलों में गैर-मुस्लिम भी, अगर उद्देश्य परोपकारी हो) अपनी संपत्ति को वक्फ बना सकता है।

2. संपत्ति: यह चल (जैसे पैसे) या अचल (जमीन, इमारत) हो सकती है।

3. घोषणा: वक्फ बनाने के लिए मौखिक या लिखित घोषणा की जाती है, जिसमें संपत्ति को अल्लाह के लिए समर्पित करने का इरादा जताया जाता है।

4. प्रबंधन: वक्फ की देखरेख के लिए एक "मुतवल्ली" (ट्रस्टी) नियुक्त किया जाता है, जो संपत्ति का उपयोग निर्धारित उद्देश्य के लिए करता है।

5. स्थायित्व: वक्फ एक बार बनने के बाद हमेशा के लिए होता है, इसे बदला या खत्म नहीं किया जा सकता (कुछ अपवादों को छोड़कर)।


भारत में वक्फ का इतिहास और कानून

औपनिवेशिक काल: ब्रिटिश शासन में वक्फ संपत्तियों को मान्यता दी गई, लेकिन प्रबंधन में दखल बढ़ा। 1913 में मुसलमान वक्फ वैलिडेटिंग एक्ट लाया गया ताकि निजी वक्फ (परिवार के लिए) को कानूनी मान्यता मिले।

आजादी के बाद: 1954 में "वक्फ एक्ट" बना, जिसे 1995 में संशोधित किया गया। यह वक्फ बोर्ड को संपत्तियों के प्रबंधन का अधिकार देता है। 2025 तक भारत में 8.7 लाख से अधिक वक्फ संपत्तियां हैं, जो 9.4 लाख एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में फैली हैं।

वक्फ बोर्ड: हर राज्य में एक वक्फ बोर्ड होता है, जो केंद्रीय वक्फ परिषद के अधीन काम करता है। यह संपत्तियों का सर्वेक्षण, पंजीकरण और प्रबंधन करता है।


वक्फ के प्रकार

1. वक्फ-ए-आम (सार्वजनिक वक्फ): मस्जिद, कब्रिस्तान या गरीबों के लिए।

2. वक्फ-ए-खास (निजी वक्फ): परिवार या वंशजों के लिए, जिसके बाद लाभ आम जनता को मिलता है।

3. वक्फ-ए-मुश्तरक: सार्वजनिक और निजी दोनों उद्देश्यों के लिए।


महत्व

वक्फ इस्लाम में सामाजिक कल्याण का एक मजबूत साधन है। यह शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीबी उन्मूलन में योगदान देता है। भारत में वक्फ संपत्तियां देश की तीसरी सबसे बड़ी संपत्ति मानी जाती हैं (सरकार और रेलवे के बाद), लेकिन कुप्रबंधन और अतिक्रमण की शिकायतें आम हैं, जिसके चलते वक्फ संशोधन विधेयक जैसे सुधारों की बात उठती है।


निष्कर्ष

वक्फ की शुरुआत पैगंबर मुहम्मद के समय से हुई और यह इस्लाम के परोपकारी सिद्धांतों का प्रतीक है। भारत में यह मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और सामाजिक पहचान का हिस्सा है, लेकिन इसके प्रबंधन में सुधार की मांग ने इसे विवादों में भी ला दिया है।


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