अमेरिका-ईरान तनाव
ईरान और इज़राइल के बीच चल रहे संघर्ष ने हाल के दिनों में नया मोड़ ले लिया है, जिसमें अमेरिका की सैन्य भागीदारी ने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है। यह संघर्ष 13 जून, 2025 को शुरू हुआ, जब इज़राइल ने ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले किए। इसके बाद दोनों देशों के बीच मिसाइल और ड्रोन हमलों का आदान-प्रदान हुआ, जिसने मध्य पूर्व में तनाव को और बढ़ा दिया।
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अमेरिकी हमले
21 जून, 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की कि अमेरिकी सेना ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों—फोर्डो, नतांज़, और इस्फहान—पर हमले किए। इन हमलों में छह बी-2 स्टील्थ बॉम्बर्स का उपयोग किया गया, जिन्होंने "बंकर बस्टर" बमों का इस्तेमाल किया। ट्रंप ने दावा किया कि ये ठिकाने "पूरी तरह नष्ट" हो गए, हालांकि ईरानी अधिकारियों ने कहा कि हमलों से कोई रेडियोधर्मी रिसाव नहीं हुआ।
फोर्डो परमाणु स्थल, जो एक पहाड़ के नीचे गहराई में स्थित है, विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान ने हमले से पहले फोर्डो से संवर्धित यूरेनियम को हटा लिया था, जिसके कारण यह स्पष्ट नहीं है कि क्या ईरान की परमाणु हथियार बनाने की क्षमता पूरी तरह समाप्त हुई है।
स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज़
स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज़, जो वैश्विक तेल व्यापार का एक महत्वपूर्ण मार्ग है, इस संघर्ष में बार-बार चर्चा में रहा। प्रतिदिन लगभग 20 मिलियन बैरल कच्चा तेल और तेल उत्पाद इस संकरे जलमार्ग से होकर गुजरते हैं। ईरान के एक प्रमुख सलाहकार, होसैन शरियतमदारी ने सुझाव दिया कि अमेरिकी हमलों के जवाब में ईरान स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज़ को बंद कर सकता है और अमेरिकी नौसेना के जहाजों पर मिसाइल हमले कर सकता है। हालांकि, अभी तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
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ईरान की प्रतिक्रिया
ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने अमेरिकी हमलों को "खतरनाक युद्ध" करार देते हुए कहा कि इसके "स्थायी परिणाम" होंगे। ईरान ने जवाबी कार्रवाई के लिए "सभी विकल्पों" को खुला रखने की बात कही, लेकिन अभी तक कोई बड़ा सैन्य कदम नहीं उठाया गया। ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकियान ने कहा कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को किसी भी स्थिति में बंद नहीं करेगा।
ईरान ने रूस से समर्थन मांगने की कोशिश की है, और विदेश मंत्री अराघची 22 जून, 2025 को मॉस्को की यात्रा करने वाले हैं।
इज़राइल-ईरान संघर्ष
इज़राइल और ईरान के बीच युद्ध अपने नौवें दिन में है। इज़राइल ने ईरान के परमाणु ठिकानों और सैन्य नेतृत्व को निशाना बनाया, जबकि ईरान ने इज़राइल के 14 शहरों पर मिसाइल हमले किए। इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि यह सैन्य अभियान तब तक जारी रहेगा, जब तक ईरान का परमाणु खतरा समाप्त नहीं हो जाता।
वैश्विक प्रतिक्रियाएँ
- यूके: ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने चेतावनी दी कि यदि संघर्ष बढ़ा, तो इसका असर मध्य पूर्व से बाहर भी हो सकता है।
- रूस और चीन: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी प्रधानमंत्री शी जिनपिंग ने इज़राइल की कार्रवाइयों की निंदा की और कूटनीति के माध्यम से समाधान की वकालत की।
- संयुक्त राष्ट्र: यूएन अधिकारियों ने इस स्थिति पर "गंभीर चिंता" व्यक्त की है।
- हाउती समूह: यमन के हाउती समूह ने कहा कि यदि अमेरिका इज़राइल के हमलों में शामिल हुआ, तो वे लाल सागर में अमेरिकी जहाजों को निशाना बनाएंगे।
तृतीय विश्व युद्ध की आशंकाएँ
सोशल मीडिया पर कुछ लोग इस संघर्ष को तृतीय विश्व युद्ध की शुरुआत मान रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अभी यह आशंका अतिशयोक्तिपूर्ण है। फिर भी, स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज़ में किसी भी व्यवधान से वैश्विक तेल आपूर्ति प्रभावित हो सकती है, जिसका असर विश्व अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है।
परमाणु स्थलों का नक्शा
फोर्डो, नतांज़, और इस्फहान ईरान के प्रमुख परमाणु स्थल हैं। फोर्डो एक पहाड़ के नीचे गहरे में बना है, जिसे नष्ट करना बेहद मुश्किल माना जाता है। नतांज़ में यूरेनियम संवर्धन की सुविधा है, जबकि इस्फहान में सेंट्रीफ्यूज उत्पादन होता है। इन ठिकानों पर हुए हमलों का नक्शा और सटीक विवरण सार्वजनिक रूप से सीमित है।
बी-2 बॉम्बर और बंकर बस्टर बम
बी-2 स्टील्थ बॉम्बर की कीमत लगभग 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति विमान है। इसकी उड़ान रेंज 6,000 नॉटिकल मील से अधिक है और यह "बंकर बस्टर" बम ले जा सकता है, जो गहरे भूमिगत ठिकानों को नष्ट करने में सक्षम हैं। इन बमों का वजन 30,000 पाउंड तक हो सकता है।
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ट्रंप और ट्रूथ सोशल
राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल और एक्स पर हमलों की जानकारी साझा की। उन्होंने ईरान से शांति समझौता करने की मांग की, अन्यथा और हमलों की चेतावनी दी।
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अमेरिका, ईरान, और इज़राइल के बीच तनाव चरम पर है, और स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज़ में किसी भी कार्रवाई से वैश्विक प्रभाव पड़ सकते हैं। कूटनीतिक प्रयास अभी तक असफल रहे हैं, और दोनों पक्षों ने जवाबी कार्रवाइयों की चेतावनी दी है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए विश्व समुदाय इस क्षेत्र पर नज़र रखे हुए है।
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